Mahesh Bhatt started podcast
भट्ट ने बताया कि वे एक पॉडकास्ट शुरू कर रहे हैं, जिसमें वे लोग बातें करेंगे, जिसमें उनके जीवन में किसी न किसी चीज की लत शामिल है। इस सिद्धांत को इमरान जाहिद प्रोड्यूस कर रहे हैं।
सवाल- भट्ट साहब पहले तो जन्मदिन की बहुत- बहुत बधाई। आप एक पॉडकास्ट शुरू कर रहे हैं। उसके बारे में कुछ बातें?
उत्तर उत्तर- मैं जन्मदिन समझौते की प्राथमिक को प्रमुख सामान नहीं देता हूं। ये लेख ख़ुशी की बात हो सकते हैं, लेकिन मेरे लिए नहीं। रही बात आपके सवाल की तो मैं ‘मैं दिल से बोला’ नाम से एक पैशन शुरू कर रहा हूं। हम सभी अपनी निजी जिंदगी में किसी न किसी से अंधेरे में डूबे रहते हैं। मैं भी शराब समेत कई सारी लत से गुजर चुका हूं। आपको किसी भी चीज़ की लत के बारे में बता सकते हैं। मैंने 38 साल से शराब की एक बूंद भी नहीं पी है। हम उस रास्ते से गुज़र चुके हैं, इसलिए उस चीज़ को समझ सकते हैं।
प्रश्न-प्रश्न में किस प्रकार के अतिथि शामिल होंगे?
उत्तर उत्तर- जो लोग अपने जीवन के बारे में फ़्रैंक अवशेष और घटिया हैं, उन्हें इस शो में बुलाया जाएगा। जरूरी नहीं कि वो मनोरंजन, खेल या फिर कंपनी की दुनिया से हों। वो किसी भी फील्ड से हो सकते हैं।
महेश भट्ट ने 76 साल की उम्र में की थी शुरुआत, इसे इमरान जाहिद प्रोड्यूस कर रहे हैं।
सवाल- 38 साल तक आपने शराब को हाथ नहीं लगाया। ये आदत कैसे लगी और अचानक कैसे छूट गई?
उत्तर उत्तर- अक्सर नाकाम आदमी ही शराब पीता है। शुरू हुआ प्रामाणिक ब्रांड का शराब पीना। जब सफल होता है तो स्क्रैप ब्रांड के अवशेष प्रतीत होते हैं। शराब की लत कैसे छूटी, इसके पीछे एक कहानी है। मेरी छोटी बेटी रॉयलन पैदा हुई थी। उनके जन्म के समय मुझे बहुत ख़ुशी थी। लगातार दो दिन से पी रही थी. एक दिन मैंने उसे अपने गोद में ले लिया तो उसने मुँह फेर लिया। उस समय ऐसा लगा कि कुदरत कह रही है कि इस जहर को अब छोड़ देना चाहिए। उस दिन के बाद से मैंने एक बूंद भी शराब नहीं पी।
प्रश्न- आपने कड़ी मेहनत से हाथ की रूढ़ियाँ बदल डालीं और खुद किस्मत लिखी, लेकिन जब पीछे मुड़कर देखते हैं तो क्या बातें याद आती हैं?
उत्तर उत्तर- कुछ अजनबी लोग आये मुझसे बहुत कुछ। हमारी बहुत सी शिक्षाएँ। उन्होंने ही आगे बढ़ने का जरिया दिया। बाकी की बात है, कुछ करने की लगन थी, वजह से यहां तक आए।
‘मैं दिल से कहा’ के माध्यम से महेश भट्ट पेस्टल एडिक्शन पर बात करेंगे
सवाल- मेरी बार-बार कई जाति से बात होती है। वे कहते हैं कि हर एक्टर एक बार भट्ट साहब के साथ काम करना चाहता है, ऐसा क्या जादू करते हैं आप?
उत्तर उत्तर- ऐसा कुछ नहीं है. बस ब्लूटूथ ब्लूटूथ बना हुआ हूँ। बात अभिनेताओं की नहीं, जीवन की होती है। जीवन से ही कला का जन्म होता है। जीवन की नकल करो और उसके रंग को देखते हुए प्रतिनिधि करो।
सवाल- आपके संस्थान में एक से एक उग्रवादी एक आदिवासियों को लॉन्च किया गया है। अनुपम खेर भी उसी में से एक हैं। वे अक्सर आपको गुरु दक्षिणा देने की बात करते हैं।
उत्तर- वह तो मेरा अधिकार है कि मैं अपने गुरु को दक्षिणा देता हूं। अन्य गुरु दक्षिणा देते हैं वक्ता साक्षात्। जब शिष्य सफल हो जाता है तब बहुत खुशी होती है। अनुपम करीब 500 फिल्मों में काम कर चुके हैं। वे बहुत ही खूबसूरत शॉर्ट फिल्म ‘आई वेंट शॉपिंग फॉर रॉबर्ट डी नीरो’ का प्रचार और निर्देशन करते हैं। आज 69 साल का हो गया है स्ट्रॉबेरी का शौकीन। सारांश में उनके अभिनय बी. अनुपम एक मिसाल हैं। बाकी और भी बहुत सारे हैं।
इमरान जाहिद ने महेश भट्ट द्वारा निर्मित ‘द लास्ट सैल्यूट’ में मुंतधर अल जैदी की भूमिका निभाई थी, जो जॉर्ज बुश से जुड़े शूकर क्रैवल की घटना पर आधारित है।
प्रश्न- बहुत से संस्थान आपके यहाँ से सीखकर निकलते हैं, अर्जुन प्रिय शिष्य कौन है?
उत्तर उत्तर- हर एक में कोई ना कोई खास बात है। मोहित सूरी, विक्रम भट्ट, पूजा, अनुराग बसु जैसे कई लोग हैं। यह कहता है कि जो सबसे प्रिय है, वह बहुत कठिन है। सूरज बड़जात्या भी हमारे डेमोक्रेट थे। ये सारी अपनी प्रतिभा की वजह से सफल हैं, मैं तो बस एक जरिया था।
सवाल- द्रोणाचार्य जैसी स्थिति में कभी अपने किसी प्रिय शिष्य के लिए किसी को लाइसेंस देना पड़ा हो?
उत्तर उत्तर- ऐसा कभी नहीं होगा। अगर हुआ होगा तो माफ़ी चाहता हूँ. जो व्यक्ति मेरे करीब रहना चाहता था, वह नहीं मिलेगा। इसमें नुकसान यह है कि मैंने न तो पाया और न ही देखने की इच्छा की।
प्लाज्मा का भाग पूजा भट्ट भी होगी
सवाल- आपने अर्थ, ज़ख्म जैसी कई कमाल की फिल्में बनाई हैं। इसके पीछे आपकी क्या सोच रही है। आज उस तरह का सिनेमा कैसे बने?
उत्तर उत्तर- बन रहा है और बनेगा। आज देखिए इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक का बहुत बड़ा क्रेज़। आज की युवा पीढ़ी डांस करती है। इन्हें पहचाना जाता है, अलग-अलग तरीकों से पहचाना जाता है। रूह से रूह तक पहुंचने वाली बात तो हमेशा रहेगी। बदलाव होते रहते हैं, लेकिन फिल्म वही नौकरानी। अगर अर्थ, ज़ख़्म और फ़्राई की बातें तीसरी बाद में भी करते हैं, तो वो इसलिए करते हैं क्योंकि उसके अंदर जीवन की सच्चाई है। अच्छा काम होता है जो वक्त के रेगिस्तान को पार कर जाए।
प्रश्न- आपके लिए सिनेमा क्या है?
उत्तर उत्तर- मेरी मां ने कहा था कि पैसे कमाकर आना, नहीं तो मत आना। पैसा निकला तो संघर्ष से बर्बाद हुआ। इस दौरान सिनेमा की समझ उपजी। कहानी का अवलोकन कास्कोपी था, जो आगे काम किया गया। हमने जिंदगी में कुछ ऐसी फिल्में बनाईं, जो हमारी निजी जिंदगी से प्रभावित रहीं।
सवाल- आपकी बहुत ही खूबसूरत जर्नी रही है, जिंदगी का सबसे खूबसूरत फल क्या है?
उत्तर उत्तर- यही कि जिंदगी अपने लाइसेंस पर जिओ। अपनी सोच किसी पर मत करो और ना ही किसी की सोच के हिसाब से चलो। समाज के जो नियम हैं, उसके संप्रदाय में उसके नियमों का पालन करो, जैसे संकेत के नियमों का पालन करते हैं। यह बात हमेशा से ही प्रमुख रही है कि जिसका जन्म होता है उसका विनाश होता है। बस जिंदगी का यही खूबसूरत फलसफा है।