पोलैंड से एक्ट्रेस बनने का सपना लेकर भारत आईं योआना आश्का ने डेली भास्कर को दिए इंटरव्यू में अपना दर्द शेयर किया है।
भारत में काम कर रोल्ड बोल्ड एक्ट्रेस योआना आशका केरल में पढ़ाई करने आई थीं। वहां उन्हें फिल्मों के ऑफर मिलने लगते हैं। हालांकि डायरेक्टर ने कुछ ऐसा कह दिया कि उनका सपना टूट गया। डायरेक्टर ने कहा- मैं आपके साथ फिल्म करने को लेकर बहुत एक्साइटेड हूं। मुझे तो आपसे कुछ नहीं चाहिए, लेकिन फिल्म और को-एक्टर की कुछ बातें अलग हैं। आप उनके साथ क्या समझौता कर सकते हैं?
संचालक की बात रिपोर्ट ही योआना सका। योआना ने बताया, ‘वैसे तो मैं यहां पढ़ाई करने आई थी, लेकिन फिल्मों में भी हाथ धोना चाहती थी।’ जब डायरेक्टर ने मुझसे वो बात कही तो ऐसा लगा कि मेरा सारा सपना एक पल में ही टूट गया।’
योआना अश्क.
योआना के साथ जो हुआ, वो पहला मौका नहीं है। ऐसी कई सारी घटनाएं रोज होती हैं, लेकिन इसके बारे में हमें पता नहीं चलता। बॉलीवुड में काम कर रहे विदेशी कलाकारों के हितों की सुरक्षा के लिए कोई एसोसिएशन या संगठन सक्रिय नहीं है। यहां पर कितने विदेशी काम कर रहे हैं, उनका भी कोई डेटा नहीं है। गिनती के कुछ नाम छोड़ें, तो विदेश से आए कलाकार गुमनाम में खो जाते हैं।
इंडस्ट्री में काम न मिलने पर कोई क्लब बार में काम करने लगता है, तो कोई चीयरलीडर बन जाता है। कई बार क्रोमियम कॉम्प्रोमाइज करने की बात भी कही जाती है। कभी-कभी डॉक्टरों की कमी की वजह से कुछ विदेशी लड़कियां देह व्यापार जैसे बॉस में भी फंस जाती हैं।
- इस स्टोरी के जरिए हम जानेंगे कि भारत में काम करने आए विदेशी कलाकारों का किन नक्शों से सामना होता है?
- आख़िर कौन सी जबरदस्ती प्रॉस्टिट्यूशन जैसे गलत काम के लिए उतरना चाहती है?
- उत्पादन और राजपूत कंपनियां कैसे इनका फ़ायदा उठाती हैं?
योआना ने कहा- साथ काम करने वाली रूसी लड़कियों के साथ सबसे ज्यादा गलत हुआ
योआना ने आगे कहा, ‘मेरे साथ काम करने वाली कई रशियन जूनियर गर्ल्स के साथ तो और भी गलत हुआ है। असल में, उनके पास वर्कशॉप स्वामी नहीं थे। वे अवैध रूप से यहां काम कर रही थीं। उन्हें प्रोडक्शन हाउस और को-ऑर्डिनेटर्स की तरफ से बार-बार परेशान किया गया था। उनका कहना है कि आपके पास वर्कशॉप का मालिक नहीं है, इसलिए जो कहा जा रहा है, वो करिए। ‘कानूनी पचड़े में न फंसना पड़े, इसलिए वे एकमुश्त के लिए तैयार हो गए।’
क्लासिक में कलाकृतियाँ लिखी होती हैं
जब योआना यहां आया तो एककैथिस्तान एजेंसी ने अपनी गलत दिशा में सिने डिजाइन की कोशिश की, लेकिन वे बच गए। योआना ने कहा, ‘काउंसिल पेपर में लिखा था कि भले ही आपने पूरे महीने काम किया हो, लेकिन एजेंसी के पास यह अधिकार है कि वो चाहे तो एक रुपये भी नहीं दे सकती।’
मुंबई का गिरोह विदेशी लोगों को फिल्म उद्योग में रखता है
फिल्म इंडस्ट्री में विदेशी लोगों के प्रोटेस्ट पर साइन वर्कर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश गुप्ता कहते हैं, ‘सरकार द्वारा संचालित फिल्म सिटी में एक साधारण इंसान के प्रवेश के लिए भी पहचान पत्र लगता है, धड़ लेकिन बल्ले से विदेशी लोग घुस जाते हैं, इसकी किसी को खोज खबर नहीं है.
मुंबई में कुछ गिरोह हैं, जो विदेशी लोग शहीद होते हैं। ये प्रोडक्शन कंपनी एक व्यक्ति के लिए 80 हजार से ऊपर एक लाख रुपये लेती है, लेकिन काम खत्म होने के बाद कलाकार को 5 से 6 हजार रुपये दिए जाते हैं, बाकी सारा पैसा खुद हजम कर जाते हैं।’
एक्ट्रेस बनीं विदेशी लड़कियां से गलत काम करती हैं
विदेशी एक्ट्रेस एक्ट्रेस बनने के सपने लेकर भारत आती हैं, लेकिन यहां आने के बाद उनका शोषण शुरू हो जाता है।
सुरेश ने कहा, ‘100 में एक लड़की को ही अच्छा लगता है जहां मिल पाता है, बाकी 99 को शोषण से गांव मिलता है। आपके गलत काम शामिल हैं। उन्होंने आवाज भी नहीं उठाई, क्योंकि उन्हें ब्लैकलिस्ट होने का डर है। उन्हें कहीं भी ब्लैकलिस्ट होने पर भी काम नहीं मिलता। उन्हें अपने देश जाने की नौबत और मालिक वापस मिलें। कुछ के पास भी पैसे वापस नहीं आते, इसलिए जबरन शोषण सहना ही पड़ता है।’
10 लोगों की फैक्ट्री में 100 लोगों का काम, करण जौहर की प्रोडक्शन कंपनी भी शामिल
सुरेश ने आगे कहा, ‘करन जौहर की धर्मा कंपनी समेत कई प्रोडक्शन हाउस में भी अवैध रूप से विदेशी लोगों से काम निकाला जाता है।’ यह 10 लोगों के कारखाने, 100 लोगों के काम के निर्माण हैं। बड़े प्रोडक्शन हाउस वाले यहां बिना डॉक्टरों के यहां के कर्मचारी 16-16 घंटे काम करते हैं, फिर फॉरेनर्स को कैसे छोड़ेंगे?’
क्रिमिनल लॉयर ने कहा- मेरे पास विदेशी श्रमिकों के शोषण के कई मामले आए
इस मसले में हमने मुंबई बेस्ड एक लॉयर अरबाज पॅट से बात की। उनका यह भी मानना था कि बॉलीवुड में विदेशी कलाकारों का शोषण होता है। उनके पास ऐसे कई मामले भी आ चुके हैं।
उन्होंने कहा, ‘विदेशी कलाकारों को यहां कार्टून प्रॉमिस कहा जाता है।’ उन्हें एक-दो फिल्मों में काम भी दिया जाता है, लेकिन असल खेल बाद में शुरू होता है। उन्हें एक फिल्म के एहसान ने दबा दिया है। फिर अगली फिल्म में काम के सिलसिले में कई रिकॉर्ड दर्ज हैं।
मेरे पास ऐसे कई सारे पीड़ित हैं। इनमें मुख्य रूप से लड़कियां अधिकतर पीड़ित होती हैं। ‘इतना ही नहीं, कई बार तो उन्हें मुंबई और गोवा के रेवले में देह व्यापार के लिए भेज दिया जाता है, वहां पर प्लास्टिक पार्टियां भी होती हैं।’
विभिन्न प्रकार के रेडियोधर्मी संयंत्र
लॉयर अरबाज ने बताया कि विदेशी कलाकार को सबसे ज्यादा ठगने का काम मिलता है। उन्होंने कहा, ‘मॉडलिंग इंजीनियर विदेशी आर्टिस्ट से लेकर क्रिएटिव प्रॉमिस करते हैं कि सुपर मॉडल बना देंगे, फिल्मों में बड़ा रोल देंगे।
उनका कहना है कि अगर वे कुछ खास लोग संपर्क में रहते हैं और इंटरैक्टिव बने रहते हैं, तो वे और काम करेंगे, वे प्रसिद्ध हो जाएंगे। इस तरह के सपने साकार करते हैं 2-3 साल के कलाकार।
इस आर्किटेक्चर के तहत कलाकार पूरी तरह से अपने शौक में फंस जाता है। जब वो फ्रैक्चर की बात होती है, तो उसके सिक्कों की डिजाईन की बात होती है। ‘एक्टर के पास कोई चरित्र नहीं होता।’
पुलिस से भी मदद मिलने में देरी होती है
फिल्म भाग, फरेरे और सास भी कभी बहू थीं, जिनमें कई फिल्में और टेलीविजन शोज का हिस्सा रह चुके विदेशी अभिनेता रीक ने कहा, ‘भारतीय कला की तरह हमारे लिए भी कोई एसोसिएशन होनी चाहिए। जब हम किसी में फंसते हैं, तो हमारी सुरक्षा करने वाला कोई नहीं होता।
हम पुलिस के पास भी नहीं जाएँगे। उन्हें हमारी बहुत समय की कॉमिक्स में शामिल किया गया है। लैंगवेज बैरियर की वजह से न हम उन्हें अपनी बात समझा पाते हैं और न ही वे समझ पाते हैं। साथ ही पैसे भी बहुत खर्च होते हैं। इसलिए हम कोशिश करते हैं कि यही करें कि ‘रिन हमारा विवाद है, ‘किशोरी से मांगें।’
भारत में काम करने के लिए यहां व्यापार की खरीदारी जरूरी है
रायपुर के प्रबंधक रचना पुरी ने बताया कि जो विदेशी कलाकार भारत में सिर्फ पैसा कमाने के लिए नियत स्थान पर आते हैं, उनका नुकसान हो जाता है। उन्होंने कहा, ‘जिनके अंदर भारतीय कला और संस्कृति की प्रस्तुति होती है, यहां वे सफल हो जाते हैं।’ उन्हें ही शोहरत मिल रेज़िस्टेंस है।
विदेशी कलाकारों को भारत में काम करने से पहले यहां विशेष रूप से शामिल किया जाना चाहिए। एक बार वो यहां के ट्रेडिशन समझ गए, फिर उन्हें काम मिलने में दिक्कतें नहीं आईं। साथ ही भारत के बाद उन्हें एक सपोर्ट सिस्टम सुपरमार्केट देना चाहिए। समर्थन न मिलने पर लोग बढ़त में देर नहीं करेंगे। विदेशी कारीगरों के अंदरुनी ढांचे का कूट-कूटन कर भरा जाना चाहिए, वर्ना यहां उनके काम पर प्रभाव पड़ जाएगा, जिससे आगे नुकसान होगा।
दूसरा, उनके पास वर्कशॉप मास्टर बिल्कुल होना चाहिए। ‘अगर गैर-कानूनी रूप से काम करेंगे तो हर मोड़ पर उनका शोषण ही होगा।’