7 सितंबर को गणेश चतुर्थी है। इस दिन गणपति स्थापना होगी। इसके लिए 3 संग्रहालयों में संग्रहालय। मूर्ति स्थापना सूर्यदेव के पहले करने का विधान है। गणेश पुराण के अनुसार गणपति का जन्म चतुर्थी तिथि और चित्रा नक्षत्रों में मध्याह्न काल में हुआ था। ये शुभ काल सुबह 11 बजकर 20 मिनट से शुरू हो रहा है।
इस बार गणेश चतुर्थी पर सुमुख नाम का शुभ योग बन रहा है। ये गणेशजी का एक नाम भी है। इसके साथ पारिजात, बुधादित्य और सर्वार्थसिद्धि योग बन रहे हैं। ज्योतिषियों का मानना है कि इस संयोग से गणपति स्थापना का शुभ फल और वृद्धि होगी।
ग्रंथों के अनुसार वैसे तो गणेशजी के कई रूप होते हैं, लेकिन भादो के महीने में आने वाली इस गणेश चतुर्थी में सिद्धि विनायक रूप में गणेशजी को पूजने का विधान है। गणेशजी के इस रूप की पूजा भगवान विष्णु ने की और ये नाम भी दिया।
ऐसे में साड़ी से पूजा न करें तो इसके लिए छोटी पूजा विधि
- फ़ौच पर स्वस्तिक विक्रय एक पिंच चावल स्थान।
- उस पर मौली लपेटी हुई सुपारी स्थान। इन सुपारी गणेश की पूजा करें।
- इतना भी न मिले तो श्रद्धा से सिर्फ मोदक और दूर्वा चढ़ाकर प्रार्थना करने से पहले भगवान की कृपा करें।
किसी भी कारण से गणेश स्थापना और पूजा न करें तो क्या करें…
पूरे गणेशोत्सव में हर दिन गणपति के सिर्फ तीन मंत्रों का जाप करने से भी मिलता है पुण्य। सुबह-सुबह गणेशजी के मंत्रों के बारे में जानने के लिए ऑफिस-दुकान पर जाएं या किसी भी काम के लिए संपर्क करें।
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