GPS से टोल टैक्स की वसूली शुरू: हाईवे पर हर दिन 20km का सफर मुफ्त, इसके बाद जितना ट्रेवल उतना टोल लगेगा


नई दिल्ली8 दिन पहले

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देश में जीपीएस से टोल टैक्स की सुविधा शुरू हो गई है। भारतीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) बेस्ड टोल लेवल सिस्टम शुरू करना शुरू कर दिया है। ये सिस्टम देश के राष्ट्रीय राजमार्ग और एक्सप्रेस-वे पर ‘पे एज यू यू यू’ बेसिस पर टोल शुल्क लेता है।

मंत्रालय के नए नियमों के अनुसार, जीएनएसएस से राष्ट्रीय राजमार्ग पर हर दिन 20 किमी की दूरी तक आने-जाने के लिए निजी वाहनों को ले जाया जाएगा। इसके बाद जितनी दूरी तय होगी, उतनी ही दूरी का टोल लागू होगा।

अगला फास्टैग भी जारी रहेगा इस नई प्रणाली का अंतिम चरण पूरा हो चुका है और हरियाणा के ऐतिहासिक-हिसार राष्ट्रीय राजमार्ग 709 पर इसका पंजीकरण भी शुरू हो चुका है। इसका फ़ायदा नग्न अभिनेत्रियों को होगा, जो GNSS से बिकते हैं।

विभिन्न इकाइयों की संख्या अभी कम है, इसलिए यह व्यवस्था हाइब्रिड मॉड पर काम करती है। यानी टोल टैक्स की कैश, फास्टैग और ऑटो नंबर प्लेट रिकग्निशन से भी जारी रहेगी।

यूनिट्स चलेंगे सिर्फ रेज़्यूमे ही चार्ज देना होगा जीएनएसएस बेस्ड टोल सिस्टम टोल नेम, स्ट्रेंजेक्ट और स्ट्रेंथ सिस्टम का डेटा कलेक्ट करता है। इससे डायनेमिक टोल ऑर्थोडॉक्स सिस्टम इनेबल होता है। इसका मतलब ये हुआ कि आप हाईवे पर ड्राइव करने के लिए सिर्फ सामान ही पैसे लेकर यात्रा पर निकलेंगे।

निश्चित समय में टोल मैनुअली चार्ज किया जाता है, इसका मतलब ये है कि आप कुछ एक्स्ट्रा किमी के लिए भी चार्ज दे रहे हैं, जहां आप गाड़ी लेकर गए ही नहीं हैं। जीएनएसएस सिस्टम ये देखेगा कि आप कितनी दूरी तय कर चुके हैं और फिर एक ही अकाउंट से चार्ज लेंगे।

टोल टैक्स कैसे लगाया जाएगा? टोल प्लाज़ा पर जीएनएसएस से सामान के लिए अलग से लेन लेंगे। फास्टैग की तरह ही सामान ऑनबोर्ड यूनिट से पास होगा, ये यूनिट चार्जेज को सिग्नल भेजे जाएंगे जो कि फिनटेक कंपनी के हैंडल हैं। यदि इन लेन में कोई गैर जीएनएसएस रिक्ति होती है तो उस पर डबल टोल टैक्स वसूला जाएगा।

अभी देश में फास्टैग से टोल टैक्स की गारंटी देश में अभी टोल बूथ पर फास्टैग और कैश राशि के रूप में टोल टैक्स वसूला जाता है। फास्टैग एक प्रकार का टैग या स्टिकर होता है। यह वाहनों की विंडस्क्रीन पर लगता है। फास्टैग रेडियो फ्रिक्वेन्सी आइडेंट असिस्टेंट या आरएफआईडी तकनीक पर काम करता है।

इस तकनीक के माध्यम से टोल प्लाजा पर लगे कैमरा, स्टिकर के बार-कोड को स्कैन कर लेते हैं और टोल फीस अपने फास्टैग के टूल से कट कर लेते हैं। फास्टैग के इस्तेमाल से वाहन चालक को टोल टैक्स के भुगतान के लिए रुकना नहीं है। टोल प्लाजा पर लीज वाले समय में कमी और यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।

फ़ास्टैग स्टिकर 5 साल के लिए वैध होता है फास्टैग स्टिकर्स द्वारा खरीदा गया एक बार 5 साल के लिए वैध होता है। यानी 5 साल बाद आपको स्टिकर बदलना या इसकी वैधता बढ़ाना बंद हो जाएगा।

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