पेरिस पैरालिंपिक 2024 में राजस्थान के सुंदर गुर्जर ने जेवलिन थ्रो (एफ 46) में ब्रॉन्ज मेडल जीता। सुंदर ने भाला तक 64.96 मीटर की दूरी तय की। सुंदर गुर्जर गंगापुर सिटी के टोडाभीम के देवलेन गांव में रहने वाले हैं।
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मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सुंदर गुर्जर को संक्रांति पदक पर बधाई दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा है ‘राजस्थान के करौली जिले के खूबसूरत एथलीट सुंदर गुर्जर ने पेरिस पैरालंपिक में भाला फाके (एफ 46) प्रतियोगिता में कांस्य पदक प्राप्त किया है और केवल देश ही नहीं बल्कि पूरे राजस्थान का मान हासिल किया है। आपको बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं। यह ऐतिहासिक उपलब्धि आपके कठिन परिश्रम और असाधारण खेल कौशल का परिणाम है। यह प्रदेश और देश के विशाल खिलाड़ियों को जिताने के लिए प्रेरणा स्रोत है। भारत माता की जय।
फोटो साल 2023 का है। सुंदर गुर्जर ने एशियन पैरा गेम्स में जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीता था। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीत की बधाई दी थी।
परिवार में खुशी
सुंदर गुर्जर के संतों का पदक उनके गांव में खुशी का माहौल है। उनके बड़े भाई हरिओम सिंह ने लोगों को मिठाई खिलाई। बड़े भाई ने बताया कि सुंदर एक बहुत मेहनती खिलाड़ी है, जो अपने काम को पूरा करना चाहता है। उन्होंने 2021 में गोल्ड मेडल जीतने का सपना देखा था, लेकिन वह पूरा नहीं हो सका। हालाँकि पिछले प्रयास में भी कांस्य पदक ही मिला था। इसके बावजूद सुंदर ने लगातार मेहनत की और इस बार फिर से कांस्य पदक देश, समाज और परिवार का मान बढ़ाया है।
एशियन पैरा गेम्स में गोल्ड जीता था
सुंदर गुर्जर ने 2023 में आयोजित एशियन पैरा गेम्स में भी इतिहास रचा था। उन्होंने 68.60 मीटर थ्रो कर गोल्ड मेडल जीता था। 2021 में आयोजित पैरालंपिक खेलों में भी सुंदर गुर्जर ने कांस्य पदक के साथ देश का नाम रोशन किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें बधाई दी थी।
हाथ काटा तो घर नहीं हटे थे
साल 2016 में सुंदर गुर्जर के एक दोस्त के घर पर हुए हादसे में उनकी कलाई का टीन शेड गिर गया था, जिससे उनका बायां हाथ टुकड़े-टुकड़े हो गया था। दुर्घटना के बाद सुंदर गहरे ढांचे में डूब गए और उनके माता-पिता को शक्ल तक दिखाई नहीं दी। उन्होंने सोचा था कि वह तब तक घर नहीं लौटेंगे, जब तक कुछ बड़ा हासिल नहीं कर लेंगे।
मेहनत और संघर्ष के बाद सुंदर ने पैरा वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल मेडल अपने गांव डेवलेन में रखा। गोल्ड मेडल जीतने के बाद पहली बार घर पर सबसे सुंदर ने मेडल अपने दादा के गले में डाला था। सुंदर ने कहा था- मेरे मन में एक जिद थी कि गोल्ड मेडल जीतने के बाद ही घर लौटूंगा।
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