
कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने कैपिटल मार्केट रेगुलेटर में वैकल्पिक T+0 रोलिंग सेटलमेंट लागू करने की समय सीमा बढ़ा दी है। इसके आवश्यक सिस्टम और एस्टोरिका तैयार करने के लिए और अधिक समय देना है। यह रिलीफ क्वालिफायर स्टॉक ब्रोकर (QSBs) को दिया गया है, जिसमें तकनीकी ज्ञान में कठिनाइयाँ और राहें शामिल हैं। नई तारीख सेबी के बाद घोषित आदेश, ताकि ब्रोकरों को तैयारी के लिए समता मिल सके।
सेबी ने यह फैसला क्यूएसबी से मिले के बाद लिया। उन्होंने बताया कि 1 नवंबर 2025 तक डेडलाइन तक सिस्टम को पूरी तरह से तैयार करना मुश्किल है। वैज्ञानिक कहते हैं कि यह तारीख पहले भी 1 मई 2025 से शुरू हुई थी।
सेबी ने अपने सर्लोर में कहा, ‘क्यूएसबी द्वारा घोषित और वैकल्पिक टी+0 सेटलमेंट को अंतिम रूप से लागू करने की आवश्यकता को देखते हुए यह तय किया गया है कि आवश्यक प्रणाली और मानक तैयार करने की समयसीमा आगे बढ़ाई जाए।’
T+0 सेटलमेंट क्या है?
T+0 सेटलमेंट का मतलब यह है कि जिस दिन किसी शेयर डील का सौदा हुआ हो। यानी निवेशक को पैसे या शेयर तुरंत मिल जाते हैं। इस तरह की विचित्रता एक ही है, क्योंकि फंड या शेयर दिवस उपलब्ध हो जाते हैं। साथ ही, यह डिफॉल्ट का खतरा घट गया है और पूरा ट्रेडिंग-सेटलमेंट स्टॉक तेज हो गया है।
अभी T+1 सेटलमेंट
अभी स्टॉक मार्केट में T+1 सेटलमेंट लागू है। इसका मतलब यह है कि कोई भी शेयर की खरीद-बिक्री का लालच व्यापार वाले दिन के अगले दिन चला जाता है। यानी अगर आपने आज कोई शेयर खरीदा है, तो उसका पैसा और शेयर बाकी बचे शेयर बाजार में आ जाते हैं।
इससे पहले भारतीय सिनेमाघर में टी+2 साइकल पेपर लागू था, जिसमें सेटलमेंट दो दिन बाद हुआ था। टी+1 सिस्टम लागू करने से बाजार की असमानता बढ़ी, जोखिम घट गया और युवाओं के लिए पैसा या शेयर मीटिंग की प्रक्रिया तेज हो गई।
पुराने नियम लागू
सेबी ने साफ किया है कि 10 दिसंबर 2024 को जारी होने वाले सभी नियम पहले की तरह लागू होंगे। उस सरकुल में यह तय किया गया था कि लिस्ट टी + 1 सेटलमेंट लिपि जारी रहेगी, यानी ज्यादातर शेयर ट्रेड का तीसरा दिन ही होगा।
साथ ही, सेबी ने टी+0 सेटलमेंट यानी एक ही दिन में पैसा या शेयर प्राप्त करने का विकल्प भी कुछ चुनिंदा ट्रेडों के लिए शुरू किया था। अब नई समयसीमा में सिर्फ इस वैकल्पिक T+0 साइकल के लिए शुरुआत की गई है, जबकि बाकी सभी पुराने नियम पहले की तरह लागू होंगे।