Rhea Chakraborty
समाज के साथ पुनः जुड़ने के सुझाव : सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद एनसीबी ने खेती से जुड़े मामले में अभिनेत्री रिया रिया को जेल भेजा था। साइंटिस्ट के सुझावों पर बात करते हुए रिया ने जेल में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा, ‘जेल की दुनिया काफी अलग है, क्योंकि वहां कोई समाज नहीं है।’ इंसान नहीं सिर्फ एक नंबर बनकर रह जाते हैं.
आपको हर दिन एक साल जैसा लगता है। दिन ख़त्म ही नहीं होता. मुझे अवसाद होना लगा और सामने एकदम सीधा अँधेरा छा गया। वहां रहने के बाद आपमें बिल्कुल अलग संरचनाएं हो जाती हैं, जिनमें से एक हिस्सा बाहर की ओर भी बना रहता है।’ ऐसे में एक्सपर्ट्स बता रहे हैं कि अगर कभी ऐसी सिचुएशन आ जाए कि अचानक से लाइफ बदल जाए तो फिल्म से सोसाइटी से कैसे जुड़ सकते हैं…
ट्रॉमा क्यों खतरनाक है
सामाजिक संरचना के अनुसार, जब कोई भी इंसान मिलता है या ट्रॉमा झेलता है तो उसके रिलेशन फैमिली, फ्रेंड्स, प्रोफेशनल असिस्ट लाइफ या सोसाइटी से पहले ऐसा नहीं होता है। महिलाओं से जुड़ना उनके लिए आसान नहीं है। एक बुरी घटना पिछली पहचान के लिए संकट बन सकती है। असल में, ट्रॉमा अक्सर PTSD (पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) की ओर ले जाता है, जो मानसिक विकार होता है। इसमें विशेषता बहुसंख्यक है, जीवन को लेकर बिच्छू विचार आता है। इसकी वजह से न तो चैन की नींद आती है और न ही सही तरह का खाना मिलता है।
ट्रॉमा के बाद क्या-क्या छुट्टियाँ आती हैं
बैस्ट्स का कहना है कि अवसाद आम है लेकिन कॉन्स्टैंट में कमी, गिरावट, मूड खराब होना, जीवन में कम इंशा होना जैसी समस्या पैदा हो सकती है। इससे लगातार चिंता, चिंता या किसी को लेकर डर बनी रहती है। हमेशा लगता है कि कहीं भी वो घटना उसके साथ फिर से न हो जाए। वकीलों का कहना है कि कई बार किसी विवाद में फंसने के बाद जब लंबे समय तक बातचीत होती है तो शर्म, अपराध से बाहर आने में काफी समय लग जाता है। हालाँकि, अगर वह कुछ बातों का मूल विचार रखता है तो फिल्म से अपना कॉन्फिडेंस वापस पा सकता है।
क्या करें, क्या नहीं
1. किसी भी कार्यक्रम के बाद समाज से जुड़ें, आने वाली झलक से झलक के लिए किसी प्रोफेशनल की मदद लें।
2. कुछ ऐसी पहचान में मदद करने वाले लोग सबसे ज्यादा साथ बने रहते हैं जो हर तरह से आपको सपोर्ट करते हैं, इमोशनली रख प्रयास कर सकते हैं।
3. सबसे बेहतर को सबसे पहले। जैसे- जैसे-जैसे-जैसे-ज़िन्दगी से उठना, दोस्तों से बात करना, रोज़-रोज़ खाना-जैसी छोटी-छोटी सक्रियता को तय करना।
4. ऐसी एक्टिविटीज में पार्टिसिपेट करें, जो आपको खुशी देते हैं। रोज नया कुछ सीख सकते हैं.
5. अंदर से शांति महसूस करने के लिए योग-चिकित्सा उद्योग की मदद लें। बेली ब्रीडिंग या विजुअल म्यूजियम की प्रैक्टिस कर सकते हैं।
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