MNS leader said- If Pakistani actors come here they will be beaten: थिएटर भी तोड़ देंगे; फवाद खान की फिल्म की इंडिया रिलीज पर विवाद

फिल्म ‘द लीजेंड ऑफ मौला जट्ट’ (The Legend of Maula Jatt)  की भारत में रिलीज के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एम सूग्स) ने एक बार फिर पाकिस्तान के कलाकारों और फिल्मों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

MNS leader said- If Pakistani actors come here they will be beaten

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महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता अमय खोपकर ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत में साफा-साफ कहा कि कोई भी कलाकार या फिल्म भारत में जगह नहीं बनाएगा। उन्होंने कहा कि बॉलीवुड पर भी दमदार शेयर किए गए हैं कि फ्रॉड कलाकार अगर यहां प्रचार करेंगे, तो पिटेंगे।

उन्होंने देश की सुरक्षा और शहीद सैनिकों की मूर्तियों का विरोध करते हुए अपना विरोध केवल महाराष्ट्र तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि पूरे देश में इसे फैला दिया। पढ़ें बातचीत के कुछ प्रमुख अंश:

MNS leader said- If Pakistani actors come here they will be beaten
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पाकिस्तान से इस सख्त विरोध की असल वजह क्या है?

हमारे देश पर लगातार पाकिस्तान की तरफ से हमले होते रहते हैं। पिछले हफ्ते भी हमले हुए थे, जिनमें हमारे जवान शहीद हो गए थे। हमारे देश के कई शहरों में भी हमले होते हैं, जहां पर हमारे महान पुलिस अधिकारी शहीद हो जाते हैं। ऐसे में हमें पाकिस्तान की तरफ से कला क्यों चाहिए? हमारे देश में कलाकार क्या नहीं हैं? क्या हमारी यहां फिल्में क्लासिक नहीं हैं? हमें पाकिस्तान से कलाकारी क्यों करनी चाहिए? मुंबई में जिस कलाकार पर हमला हुआ था, उसमें जिन पुलिस कर्मियों ने अपनी जान गंवाई थी, उनके घर में जब टीवी चालू होगा, तो क्या वो लोग इन कलाकारों के शो देखते थे? हमारे युवाओं और पुलिस कर्मियों के घायल होने के कारण, उनके कलाकार हमें नहीं चाहिए। पाकिस्तान से कोई भी कलाकार या फिल्म हम यहां रिलीज नहीं होने देंगे।

पाकिस्तान से इस सख्त विरोध की असल वजह क्या है?

बॉलीवुड में आलीशान कलाकारों से सब ठीक चल रहा था, अचानक अब लोकप्रिय कलाकारों की जरूरत क्यों महसूस हो रही है?

मेरा सवाल भी यही है कि आखिर इसकी जरूरत क्यों है? हमारी यहां बेहतरीन कलाकारी और अच्छी वास्तुकला है। फिर पाकिस्तान से कलाकार की क्या ज़रूरत है? पाकिस्तान में तो हमारी फिल्में रिलीज ही नहीं हो रही हैं, वे उन पर प्रतिबंध लगा सकते हैं।

आपका विरोध सिर्फ महाराष्ट्र तक रहेगा या आप इसे पूरे देश में फैलाने की योजना बना रहे हैं?

हमारी पार्टी महाराष्ट्र तक सीमित है, लेकिन मैं शेष राज्यों से भी यही कहता हूं कि अपने शहरों में भी कोई कलाकार या फिल्म रिलीज न हो और उसका विरोध न हो। हम विरोध जरूर करेंगे। महाराष्ट्र में तो फिल्में रिलीज होना जरूरी ही नहीं और इसे खतरनाक समझा जाए।

मान लीजिए अगर फिल्मी फिल्में रिलीज होती हैं, तो आपकी अगली रणनीति क्या होगी?

थिएटर निर्माताओं को यह भी पता है कि उनके मल्टीपल नमूने काफी महंगे होते हैं। रिलीज नहीं होगी, और ‘नहीं’ का मतलब ‘नहीं’ होगा।

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आर्ट और कल्चर को पॉलिटिक्स से अलग रखने की बात कही जाती है। आपको क्या लगता है कि यह मैकेनिज्म है?

मैं प्रमाणित हूं कि कला और कल्चर और पॉलिटिक्स अलग-अलग वस्तुएं हैं। लेकिन जब हमारे देश पर हमला करने वालों पर हमला करने की बात हो तो हमें वो काम नहीं करना चाहिए। हमारे लिए सबसे पहले देश आता है, फिर कला। कला की प्रतिष्ठा में हमारे देश पर हमला करने वालों को हम नहीं देखेंगे। जिस दिन पाकिस्तान की तरफ से हमारे देश पर हमले बंद हो जाएंगे, तब हम बात करेंगे। परीक्षा के लिए बिलकुल नहीं।

बॉलीवुड के उन लोगों के लिए आपका क्या संदेश है, जो फिल्मी कलाकारों के साथ काम करने का समर्थन कर रहे हैं?

बॉलीवुड के लोगों को शर्म आनी चाहिए। हमारे देश में असांबोवादी है, फिर आपको बाहर से, खासकर पाकिस्तान से, कलाकार पुरावशेष की आवश्यकता क्यों है? चाहतों की तलाश कर लें, हम ये नहीं सोचेंगे कि यहां कोई भी कलाकार काम पर या फिल्मों में काम नहीं करेगा। अभी बातें हो रही हैं कि सभी कलाकार यहां गेंस प्रमोशन करेंगे, तो उन्हें कहें कि सोना भी मत। प्रमोशन के बारे में निबंध भी मत, अन्यथा पिटेंगे। हाथ-पैर टूट जाना।


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