Khushi Parihar Murder Story Boyfriend Ashraf Zara Sheikh
नागपुर-पांडुरना हाईवे से गुजरते हुए सावली फाटा के नजदीक एक विशेष सड़क के किनारे एक शव पर रखा गया। डेथ औंधे माउथ पैड, बॉडी पर डिज़ाइनर ब्लैक टॉप, ब्लैक सागर शॉर्ट और काले लार्ज बूट थे। जब शरीर को पलटा गया तो मंज़र संहारन पैदा होने वाला था। चेहरा बुरा तरह कुचला हुआ था। मांस के चिथड़े लटके रह थे, जिससे मांस का निर्माण पूरी तरह से किया जाता था। दोनों को गोली मार दी गई और दाहिने हाथ का पंजा भी तोड़ दिया गया। राहगीर ने तुरंत पुलिस को कॉल कर घटना की इत्तला दी।
कुचले हुए चेहरे का हाल देखकर साफ हुआ कि ऐसी पहचान का पता चला है। हालाँकि इस मामले में लड़की के कपड़े और उसके शरीर पर बने कई फायदे काफी मददगार साबित हुए। लड़की की छाती पर टैटू था, जिसमें ‘क्वीन’ लिखा था, जबकि उसके हाथ में ‘लव ब्रेड’ का टैटू था, जिसमें दो नाम थे, पहला ‘खुशी’ और दूसरा ‘आशू’। पुलिस विभाग ने दस्तावेजों की तस्वीरें और सूचनाएं निकालीं। वहीं जांच का दूसरा एंगल था लड़की के शरीर पर मिले कपड़े।
उनके टॉप में नागपुर के एक मॉल का स्टिकर था, जिससे जांच में काफी मदद मिली। जब पुलिस ने मॉल के उस शोरूम में पूछताछ की तो सामने आया कि फूल का बिल खुशी कुमारी का नाम की लड़की के नाम पर था।
निधन के ठीक एक दिन पहले खुशी ने मॉल से 6000 रुपये की खरीदारी की थी, उस बिल में मोबाइल नंबर भी मिल गया।
पहचान होते ही पुलिस को हत्या की हाथ जोड़ने में ज्यादा समय नहीं लगा। इस सैद्धांतिक हत्या के तार धर्म परिवर्तन, लिव इन रिलेशन और चरित्र संदेह से जुड़े निष्कर्ष।
कुमारी कुमारी, मॉडल वाली। वो रिले की दुनिया में ऊंचाई हासिल करना चाहते थे, लेकिन निजी जिंदगी का खुलासा- और कुछ अलग-अलग जगहों से उनकी जिंदगी के चांद चांद में साम्राज्यकर रह गए।
आज अनसुनी दास्तान के 2 अध्याय में पढ़ें खुशी कुमारी परिहार की हत्या और जांच की कहानीवार-
19 साल की मॉडल कुमारी कुमारी की अंतिम मुलाकात के बाद पुलिस ने उनके कातिलों की तलाश में उन्हें छोड़ दिया। मॉल से मिले मोबाइल नंबर की जांच की गई और उनके संपर्क सामने आए। पुलिस ने जब उनके अवशेषों को बुलाया, तो चौंका देने वाले का खुलासा हुआ।
अभिभावकों ने बताया कि खुशी अनाथ थी। उन्हें किसी अनाथ आश्रम में छोड़ दिया गया था, जहां वर्ष 2000 में जगदीश परिहार ने उन्हें गोद ले लिया था। उनके जन्मस्थान, जन्मतिथि और बायोलॉजिकल माता-पिता की कोई जानकारी नहीं थी।
10वीं की पढ़ाई करते समय खुशी का रुझान जगत में होना लगा। शुरुआती तौर पर वो छोटे-मोटे फैशन शो का हिस्सा बनी थीं। उन्होंने रायसोनी कॉलेज से ग्रेजुएशन करते हुए भी कॉलेज फेस्ट में मिस रायसोनी का खिताब हासिल किया था।
साल 2019 में वो मिस इंडिया की चैंपियनशिप भी रही, हालांकि फाइनलिस्ट नहीं बनीं। शुरुआती शुरुआती दिनों में ही ख़ुशी ने अपना ग्रेजुए छोड़ दिया और फुल टाइम स्टॉकिंग्स करना शुरू कर दिया।
मुस्लिम अशरफ शेख के लिए गोद लेने वाले को अस्वीकृत कर दिया
विचित्र करते हुए खुशी की मुलाकात अशरफ शेख से हुई। वक़्त के साथ दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गयी। अशरफ से मुलाकात के बाद खुशी के भाव-तारीकों में काफी बदलाव आया। वो रेस्तरां रेस्तरां-कैफे में जाती है और ज्यादातर घर से बाहर रहती है। अशरफ ने उन्हें एक मोबाइल और कार भी सौंपी थी। जब परिवार ने अपना तारामंडल पर ऐतराज जटना शुरू किया, तो घर में खतरा बढ़ने लगा।
अशरफ शेख के साथ खुशी कुमारी परिहार।
कुछ महीने पहले ही खुशी ने अशरफ के साथ बिना रुके-टोक वाली जिंदगी भर गरीब मां-बाप का घर छोड़ दिया। परिवार ने जब ऑर्केस्ट्रा लिया तो हैप्पी ने अपना रिश्ता तोड़ लिया। वो बोली कि वो गरीब की तरह नहीं रहना चाहती। घर छोड़ने के बाद ही खुशी ने दोस्ती से संपर्क तोड़ लिया था।
परिवार का बयान लेने के बाद 13 जुलाई को ग्रामीण अपराध शाखा पुलिस विभाग ने हैप्पी के लिव-इन में राघवजी अशरफ के घर से अपराधी की गिट्टीखदान स्थित की, जहां वो खुशी के साथ रह रहा था। अशरफ ने पूछताछ में कहा कि पिछले कई दिनों से उन्हें खुशी नहीं मिली थी, हालांकि पुलिस को यह बयान अटपटा लगा।
फोटोग्राफर के साथ कार में सह-कलाकार की भूमिका निभाई गई
अशर्फ़ के मुकरने के बाद पुलिस ने नागपुर-पांडुरना हाईवे के रेलवे स्टेशन पर निगरानी शुरू कर दी। जांच में अशरफ की कार (एमएच-03 एएम 4764), 12 जुलाई की रात 9 बजे 30 मिनट टोल नाका क्रॉस पर शहर में हुई। झूमते हुए देखा तो उस वक्त अशरफ भी खुशी कुमारी के साथ कार में मौजूद थे।
हालाँकि जब 12-13 जुलाई की दरमियानी रात 2 बजे 30 मिनट पर अशर्फ़ की कार टोल पार कर लौटी, तब वो कार में अकेली थी।
ये सबूत पुलिस के लिए काफी थे। उन्होंने इस बार अशर्फ़ से पूछताछ की। इस बार वो टूट गया। श्रद्धा-ए-जुर्म में विश्वास कर लिया गया कि उसने खुशी कुमारी की हत्या कर दी।
अशरफ ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि उनकी मुलाकात साल 2018 में कुमारी कुमारी परिहार से हुई थी। दोस्ती प्यार में बदली और दोनों गिट्टीखादान इलाके में किराए के घर में लिव इन में रहने लगे।
चंद महीनों तक खुशी इस भिन्न में बेहद खुशनुमा रही, लेकिन फिर दोनों के बीच कड़वाहट आ गई। दुनिया का बड़ा नाम बनने का सपना देखने वालीं खुशी के मारे-तारीके अशरफ को मुश्किल लगने लगे थे। वो अक्सर अपनी लेट नाइट पार्टी, लेट नाइट रिले शोज और अलग-अलग लोगों से हो कर दोस्ती पर मुलाकातें करते थे। इस बात पर दोनों का जोरदार झगड़ा हुआ था.
दूसरी तरफ खुशी, अशरफ के लिए ऐसे जुनूनी जहां उन्होंने अपने हाथ में उसका नाम का टैटू तक गुडवा रखा था। वो सोशल मीडिया पर अशरफ के साथ रोमांटिक तस्वीरें शेयर करती हैं। यहां तक कि अशरफ के लिए खुशी ने धर्म भिक्षु अपना नाम भी जरा शेख कर लिया था।
अनबन और झगड़ों के बीच अशरफ और खुशी ने जुलाई में फाइनली शादी का फैसला किया, लेकिन अशरफ की खुशी बढ़ती जा रही थी।
पुलिस को दिए गए अशर्फ़ के बयान के अनुसार, 12 जुलाई को वो ख़ुशी की खरीदारी ले गया था। दोनों नागपुर मॉल से 6 हजार रुपये की दुकान लेकर घर लौटे। खुशी ने नए कपड़े पहने और रात को दोनों लॉन्ग ड्राइव पर निकले। सब कुछ ठीक था. दोनों ने नागपुर-पांडुरना हाईवे के कलमना के पास ढाबे में भोजन और शराब पी। देर रात दोनों ढाबे से नागपुर लौटने के लिए निकले थे।
दोनों कार में बैठे थे कि अशरफ अपने दूसरे साथियों से संबंध रखते हुए सवाल-जवाब करने लगे। जल्द ही बहस में बदलाव आया, दोनों के बीच गर्मागर्मी की बात बढ़ने लगी। विवाद के बढ़ने के बाद अशरफ में सावली फाटा के पास स्थित एक पहाड़ी पर ले जाया गया। उसने अपनी कार से टायर रिप्लेसमेंट वाला इक्विपमेंट आउट और खुशियों के सिर पर दे मारा। टूटे हुए अशरफ में उन पर तब तक युद्ध होता रहा, जब तक उनकी आत्मा नहीं थमी।
खुशी की मौत के बाद अशरफ के शव को खींचते हुए पहाड़ से नीचे की तरफ ले जाया गया, जहां पहचान के लिए उसने भारी पत्थर से सिर कुचल दिया। इसके बाद देर रात 2 बजे अकेले घर लौटा।
जांच में सामने आया कि अशर्फ़ के पिता बिश्राम शेख नागपुर में अवैध रूप से आरोपी बने थे। उनकी नागपुर में पकड़ थी, हालाँकि वो कई बार इस मामले में जेल भी जा चुके थे।
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