ICC’s ‘accidental umpire’ said – Ikana is like Dubai
आईसीसी के अंपायर अनिल चौधरी ने कहा कि भारत की पिच काफी अच्छी है। फोटोग्राफर्स में कई बार बड़ी घास ठीक करने के मैच खेले जाते हैं। इकाना स्टेडियम को देखकर दुबई की याद आती है। उन्होंने अंपायर बनने के सवाल पर कहा कि वह बाई चांस अंपायर बने हैं, वाइज एक्सीडे
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अनिल बीसीसीआई के ए सैकल ग्रेड के अंपायरों में शामिल हैं। उन्होंने 2013 से लेकर अभी तक टेस्ट, फोरेड और टी-20 के 125 मैचों में अंपायरिंग और प्लेयर्स की भूमिका निभाई है। फर्स्ट क्लास, आईपीएल और टी-20 सहित डोमेस्टिक मैच और लीग में 484 मैचों में अंपायरिंग करने का रिकॉर्ड भी बनाया गया है।
देश में सबसे ज्यादा सट्टेबाजी करने वाले भी इसमें शामिल हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने अनिल चौधरी से क्रिकेट के कई फैसलों पर खास बातचीत की है।
यह तस्वीर भारत के अंतर्राष्ट्रीय अंपायर अनिल चौधरी की है।
प्रश्न: क्रिकेट में अंपायरिंग की शुरुआत कैसे हुई?
उत्तर: तोपची क्रिकेटर नहीं था। क्लब का लोकल मैच खेलता था। 1997 में बीसीसीआई का एग्ज़ाम दिया गया। इसके बाद अंपायर बन गया। हां, मुझे थोड़ा सा ज्ञान था, इसलिए बन गया। बीसीसीआई के मैच में महाराष्ट्र और मुंबई के बीच पहला रणजी मैच था, जिसमें अंपायरिंग की भी शामिल थी। क्लब के लोगों ने अंपायर बने की सलाह दी थी। रिटेलर अंपायर बनाया गया था। वह भी बाई चांस।
प्रश्न: डीआरएस आने वाले समय में गेम पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर: DRS आने के बाद स्थिति बदल जाती है। अब गेम में एक्यूरेसी, ट्रांसपरेंसी शामिल है। हम गेम के करीब पहुंच गए हैं। गेम की डिजायन हम पूरी तरह से कर रहे हैं। डीआरएस में अंपायरिंग करना आसान नहीं है। सभी अंपायरों के साथ एक मैच खेलने की कोशिश कर रहा हूं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात के दौरान अंपायर अनिल चौधरी ने एक टेस्ट मैच खेला।
प्रश्न: यूपीसीए के लिए आपके दो संस्थान हैं। क्या लगता है यूपी में अंपायरिंग करने के लिए?
उत्तर: पहली बार आया था तो महिलाओं के दीक्षा में आया था। इसमें 20 लड़कियां शामिल हैं। सम्मिलित से लगता है 7-8 पास होल। इस बात का अनुमान था. वास्तव में ही पास में रखा हुआ। यह कठिन है। इसमें 7-8 घंटे आपको धूप में रहना होगा।
गेम का और गेम का पोर्टफोलियो संभालना होता है, लेकिन अभी थोड़ा और गेम का काम करना जरूरी है। कुछ चीजें करने से आती हैं। प्रैक्टिकल नॉलेज़ जरूरी है। इसमें सभी खिलाड़ी शामिल थे। उनमें स्पार्क था. वह कर सकते हैं। बीसीसीआई वुमेन क्रिकेट के लिए काफी काम कर रहा है। ये आगे जा रहा है.
यूपी के स्टेट पैनल में दूसरे संस्थान में अंपायरों की नियुक्ति की गई थी। उनकी ग्रेडिंग की। ज्ञान, उम्र और शारीरिक लैंग्वेज के आधार पर ग्रेडिंग की, क्योंकि अगर कोई आदमी 55 साल का है, तो वो घरेलू क्रिकेट के लिए काम कर सकता है, लेकिन बीसीसीआई की अंपायरिंग में भाषा नहीं जा सकती।
ए ग्रेड में उन अंपायरों को शामिल किया गया है, जो अच्छा कर सकते हैं और आगे जा सकते हैं। बी में उन लोगों को रखा गया जो डोमेस्टिक क्रिकेट में काम कर सकते हैं। ऑनलाइन नए अंपायर सीख सकते हैं। ये सीज़न्ड अंपायर हैं। इसके साथ ही सी ग्रेड में कुछ अंपायर हैं, जो सीख रहे हैं। अच्छे अंपायर हैं, उनकी बॉडी लैंग्वेज समझ में आ रही है। वह सीखना चाहते हैं।
यह तस्वीर अनिल चौधरी भारत के पूर्व कैप्टन कपिल देव के साथ हैं।
प्रश्न: क्रिकेट का खिलाड़ी बनने के लिए क्या अंपायर होना जरूरी है?
उत्तर: क्रिकेट खिलाड़ियों को जुआ खेलने में फ़ायदा होता है। जब खिलाड़ी की बात करते हैं। तो क्लब क्रिकेट की बात भी की जाएगी, क्योंकि कई राज्य ऐसे हैं, जिनमें एक डिवीजन क्रिकेट खेलना भी रणजी टूर्नामेंट के बराबर है।
हर चीज़ के लिए किताब नहीं खोलनी होती। जजमेंट और टेंपरेमेंट का पता लगाना आसान नहीं होता, जिन लोगों को अंपायरिंग करना है, वह खिलाड़ी समय पर इसे कर शुरू कर देता है। इससे क्रिकेट के साथ-साथ खिलाड़ियों का भी फायदा मिलता है।
प्रश्न: भारत में और बाहर जजों के लिए जुआ खेलना कितना कठिन है?
उत्तर : मिनिमम स्टैंडर्ड को हर देश को फॉलो करना होता है। यह बॉटम बनी हुई है। भारतीय पिच अच्छी होती है। भारत को ज़बरदस्ती दोषी ठहराया जाता है। यहां पर अब सभी तरह की पिचें हैं। अच्छा बाउंस विकेट भी है।
फोटोग्राफरों में वह इतनी बड़ी घास ठीक करते हैं, क्या सही है। हर ईसाई धर्म में हवा, पानी, मिट्टी अलग-अलग होती है। अंत में जो अच्छा क्रिकेट खेलता है, वह मैच जीतता है।
यह तस्वीर अनिल चौधरी और पूर्व तेज गेंदबाज एसोसिएट कुमार की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा जाट के ठेपा।
प्रश्न: मैच के दौरान कुछ खास पलों के बारे में बताएं?
उत्तर: कभी लास्ट बॉल पर नो बॉल दी है। यह मेरे लिए सबसे यादगार मैच है। बोर्ड का एक मैच हिमाचल में एक मैच के दौरान हेलीकॉप्टर मैदान पर उतरा और फिर खेला गया। कभी-कभी सांप पीछे निकल आता है। ये सब दिलचस्प किस्से हैं। कभी-कभी भीड़ बहुत होती है। अधिक होता है। छोटी सी घटना का भी मैच पर एक नजर।
अनिल चौधरी की ये तस्वीर सचिन तेंदुलकर के साथ है।
प्रश्न: क्या खेल लगातार बदल रहा है?
उत्तर: हां, बिल्कुल गेम लगातार बदलता जा रहा है। हर छह महीने में खेल में नई चीज़ें आ रही हैं। जैसे, इंपैक्ट प्लेयर का नियम, एटो नो बॉल का नियम। हमारे बोर्ड गेम को अच्छे से एडमिनिस्ट्रेट किया गया है। तभी हम इतने बड़े प्लेसमेंट में हैं।
बाकी सभी खेल और फ़ेडरेशन भी देखें, उन्हें इसी तरह से बढ़ाने की ज़रूरत है। आज हमारे पास पास्कैकोस्टेप है। हमारा बुनियादी ढांचा गजब है। ये आउट कम है जो, काफी क्लासिक से काम हो रहा है। आज सभी फ़ोटो में तीन रिकॉर्ड बने। हम दुनिया की किसी भी टीम को हरा देंगे।
सवाल: कौन से गाने पसंद है। यूपी-टी20 लीग को कैसे देखते हैं?
उत्तर: जाट वाले गाने पसंद है। गद्दी वाले कई गाने आये हैं। उन्हें सुनता हूँ। कभी-कभी अंग्रेजी गाने भी सुनता हूं। क्लब क्रिकेट, रणजी और फ़्रांसीसी क्रिकेट से ही तो लोकप्रियताएं हैं। यूपी- टी 20 लीग में सभी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के वारंट्स को फॉलो किया जा रहा है। सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी और अंपायर निकलेंगे। इकाना को देखकर दुबई की याद आती है।
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