How is iPhone’s camera different from Android’s: कम मेगापिक्सल के बाद भी इसकी इमेज क्वालिटी बेहतर, कल लॉन्च होगा आईफोन 16-Cofa News

How is iPhone’s camera different from Android’s

अमेरिकी कंपनी एपल ने 9 सितंबर को भारत सहित वैश्विक बाजार में 16 सीरीज लॉन्च की। इसमें चार मॉडल- डिजाइन 16, डिजाइन 16 एड, डिजाइन 16 प्रो और डिजाइन 16 प्रो मैक्स शामिल हो सकते हैं। गैजेट के फीचर्स और ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ ही उसके कैमरों के बारे में सबसे ज्यादा चर्चा होती है।

 

जहां एक ओरिजिनल इक्विपमेंट्स में सबसे बड़े आलीशान कैमरे वाले फोकस पर फोकस रहता है। वहीं, कम से कम डायमंड वाले कैमरे भी दिए गए हैं, जिनमें 200 से भी बेहतर फोटो खींची गई है। ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल आया होगा कि आखिर क्या है जो कम डिमांड के बाद भी बेहतरीन फोटो और वीडियो शूट करता है?

यह समझने के लिए सबसे पहले कैमरे की जानकारी…

सभी उपकरण कैमरे तीन कारखाने से बने होते हैं। पहला स्थिर, जो कैमरे के अंदर लाइट को भेजता है। दूसरा सेंसर, जो लाइट के फोकस से आने वाले छोटे-छोटे टूकडों (फोटोन) को विद्युत संकेतों में बदलता है और तीसरा वह सॉफ्टवेयर है, जो उन विद्युत संकेतों को फोटो में बदलता है।

  • फ़ोन कैमरे का स्थिरांक: कैमरे का स्थिर प्रकाश उसे फोकस करता है और सेंसर पर छवि बनाने के लिए गाइड (रास्ता स्वामी है) करता है। स्थिर की गुणवत्ता और डिजाइन छवि की गुणवत्ता तय होती है।
  • शटर और अपर्चर: शटरस्टॉक को सेंसर के सामने खोल दिया जाता है और बंद कर दिया जाता है। शटर स्पीड यह तय करती है कि किन्ट लाइट सेंसर पर काम करेगा। अपर्चर इलेक्ट्रोक से उपकरण वाली लाइट की मात्रा नियंत्रित होती है।
  • कैमरे का सेंसर : सेंसर लेंस से अनी वाले लाइट को डिजिटल सिग्नल में बदला जाता है। इस लाइट को मार्वलस में दिखाया जाता है, और ये इमेज के रंग और ब्राइटनेस का डेटा इकट्ठा किया जाता है।
How is iPhone's camera different from Android's
How is iPhone’s camera different from Android’s

अपरचर से यह तय होता है कि किंट लाइट सेंसर तक। f/1.4 में सबसे ज्यादा लाइट और f/16 में सबसे कम लाइट सेंसर तक का चयन किया गया है।

  • छवि संरचना : इमेज पैरामीटर (ISP – इमेज सिग्नल सिग्नल) सेंसर से मिले डेटा को अपलोड किया जाता है। यह कलर, कॉन्ट्रास्ट, शार्पनेस और अन्य इमेज एट्रिब्यूशन को एडजस्ट करता है।
  • ऑटोफोकस: ऑटोफोकस में कोई भी कैमरा किसी भी सब्जेक्ट या व्यक्ति पर अपना फोकस करता है। कैमरा ऐप्स की मदद से फोकस को क्राइस्टचर्ची एडजस्ट भी किया जा सकता है।
  • स्थिरीकरण : एस्पेक्ट इमेज स्टेबिलाइज़ेशन कैमरे की हलचल को कम करने के लिए स्थिर या सेंसर को स्थानांतरित किया जाता है।
  • सॉफ़्टवेयर और कैमरे: सॉफ्टवेयर और कैमरे फोन के कैमरों की कुशलता को नियंत्रित किया जाता है। इसमें विभिन्न मॉड्स, फिल्टर्स और एडिटिंग टूल्स शामिल हैं।
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ऑप्टिकल इमेज स्टेबिलिटी कैमरे की हलचल को कम करने के लिए ऑप्टिकल या सेंसर को इस तरह से शिफ्ट किया जाता है।

बड़े सेंसर वाले कैमरे से लो-लाइट में अच्छी फोटो आती है सेंसर क्वालिटी, साइज और स्थिर टेक्नोलॉजी कैमरे के ओवरऑल टेक्नोलॉजी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई है। बड़े सेंसर ज्यादातर लाइट के शौकीन हो सकते हैं, जिनमें तस्वीरों में बेहतर फीचर्स दिए गए हैं। 1/2.55 इंच, 1/1.7 इंच, 1 इंच आदि सेंसर आकार के होते हैं। बड़े सेंसर आम तौर पर बेहतर लो-लाइट लाइट और शार्पनेस वीडियो प्रदान करते हैं।

अधिकांश मॉडलों का प्रदर्शन बेहतर नहीं है

बहुमत गैजेट्स (एमपी) का मतलब अधिक विवरण है, लेकिन यह सब गुण और आकार के साथ भी स्थापित होता है। मल्टीपल गैजेट्स वाले कैमरों में मल्टीपल पिक्चर्स का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन हमेशा बेहतर इमेज क्वालिटी की बनी नहीं रहती है।

एंड्रॉइड फोन का कैमरा कैसे अलग होता है?

: … कैमरा एंड्रायड फोन से कई प्रवेश द्वार अलग-अलग होते हैं। इसमें अनुभागीय, सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी सहित अन्य सामग्रियां शामिल हैं –

  • सेंसर तकनीक : एपल पर आम तौर पर उच्च गुणवत्ता वाले कस्टम एन्हांस सेंसर का उपयोग किया जाता है, जो छवि गुणवत्ता और रंग एक्यूरेसी प्रदान करता है। बजट और बजट वाले फोन में रोलर प्लास्टर के साथ अलग-अलग सेंसर का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके कारण बड़े आकार के होने के बाद भी अच्छी फोटो नहीं आती है।
  • स्थिर और अपर्चर : एपल का स्थिर डिजाइन और अपर्चर साइज आमतौर पर लो-लाइट इंस्टॉलेशन और डिस्टॉर्शन कम करने के लिए विशेष रूप से विकसित किया जाता है। हैंडसेट में स्टॉक की क्वालिटी और अपर्चर साइड ब्रांड और मॉडल के हिसाब से अलग-अलग होता है। यहां पर एंडरायड फोन्स पर भी कॉस्ट कंसल्टेशन की सुविधा उपलब्ध है।
  • सॉफ़्टवेयर और इमेज़ बाज़ार : एपल में स्मार्ट एचडीआर, नाइट मॉड और डिप फ्रैगमेंट जैसी तकनीकें शामिल हैं, जो इमेज क्वालिटी में सुधार करती हैं। हाई-एंड केडिज़ फ़ोनों में भी पावरफुल फ़्लैट्स की विशेषताएँ होती हैं, जैसे कि Google की नाइट साइट, जबकि बजट और बजट फ़ोनों में प्रमुखता की अलग-अलग विशेषताएँ होती हैं।
  • वीडियो क्षमता: आपके वीडियो रिकॉर्डिंग एबिलिटीज़ के लिए बेस्ट है, जिसमें 4K रिकॉर्डिंग, डॉल्बी विज़न HDR और बेहतरीन स्टेबलाइज़ेशन शामिल है। कुछ ख़ास फ़ोनों को ख़त्म करने के लिए एंड्रायड जर्नल अपने एडवर्टाइज़िंग एजेंट पर खरे नहीं उतरते हैं।

अच्छा कैमरा फोन लेने से पहले इन 5 बातों का रखें ध्यान

  • कैमरा सेंसर की गुणवत्ता: अच्छे कैमरे वाले फोन के फीचर्स के लिए कैमरे के सेंसर पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए। कैमरा बड़ा सेंसर के साथ ही ज्यादा अपर्चर वाला होना चाहिए, जिससे लो-लाइट पर भी अच्छी तस्वीर खींची जा सके। इसके साथ इमेज स्टेबिलिटी, ऑटोफोकस, पोर्ट्रेट, नाइट, एचडीआर, पैनोरमा जैसे अन्य मोड भी शामिल होने चाहिए।
  • हाई रिजोल्यूशन की नियुक्ति : हाई रिजोल्यूशन तस्वीरों के साथ ही वीडियो की गुणवत्ता के लिए यह काफी जरूरी है। वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए फोन में 4K, 8K, स्लो-मोशन और टाइम-लैप्स जैसी सुविधाएं मौजूद होनी चाहिए।
  • बैटरी लाइफ और डिस्काउंट : कैमरे के इस्तेमाल में ज्यादा बैटरी बैटरी होती है, इसलिए फोन में अच्छी बैटरी लाइफ और फास्ट स्टोरेज होना चाहिए। फास्ट रिजर्वेशन होने पर फोन से जल्दी चार्ज हो जाएगा।
  • सॉफ्टवेयर और तकनीशियन : फ़ोन में नवीनतम सॉफ़्टवेयर होना चाहिए, जो आपके ओवरऑल फ़ोन के एक्सपीरियंस को बेहतर बनाए रखेगा। अच्छे से वर्कशॉप में फ़ोन करें ताकि आप उसके कैमरे का सही से उपयोग कर सकें।
  • फोटोग्राफर समीक्षा और प्रोफेशनल समीक्षा : फोन लेने से पहले उसकी मोटरसाइकिल समीक्षा और पेशेवर समीक्षा को देखना चाहिए। फ़ोन से ली गई सैटेलाइट वाला समीक्षा देखें ताकि आप गुणवत्ता की छवि बना सकें और फ़ोन के परामर्श के बारे में क़ीमत लगा सकें।

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