Hartalika Teej on 6th September: सुखी वैवाहिक जीवन की कामना से पति-पत्नी एक साथ करें शिव-पार्वती की पूजा, सुहाग का सामान करें दान

Hartalika Teej on 6th September

शुक्रवार, 6 सितंबर को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है, इसे हरतालिका तीज कहते हैं। यह व्रत महिलाएं अपने जीवन साथी के सौभाग्य, अच्छी सेहत और लंबी उम्र की कामना करती हैं।

 

मज़बूरी के ज्योतिष पंचाचार्य. मनीष शर्मा के अनुसार, हरतालिका तीज पर सुखी जीवन की कामना से पत्नी के साथ ही पति को भी शिव-पार्वती की पूजा करनी चाहिए। पति-पत्नी एक साथ पूजा करते हैं तो एक-दूसरे के लिए प्यार और सम्मान बढ़ता है।

पूजा में कई ऐसी विधियां होती हैं, जो पति-पत्नी को एक साथ मिलकर बनाना होता है। इन उद्देश्यों की वजह से समानता सबसे अधिक है। पूजा-पाठ के बाद पति-पत्नी को एक साथ किसी प्रियजन को सुहागरात का सामान जैसे लाल चूहा, लाल चूहा, कुमकुम, बिंदिया भी दान करना चाहिए।

गणेश पूजन के बाद शुरू करें शिव-पार्वती की पूजा

  • शिव-पार्वती के पुत्र गणेश प्रथम पूज्य देव हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु की पूजा से शिव-पार्वती बहुत आकर्षित होते हैं। गणेश जी को दूर किया गया। मोदक का भोग स्थान। धूप-दीप आरती करें। गणेश जी के बाद शिव-पार्वती का अभिषेक करें, पूजा करें।
  • हरतालिका व्रत महोत्सव निराहार मनाया जाता है। कुछ महिलाएं तो इस व्रत में पानी भी नहीं पीती हैं। तीज पर धार्मिक पूजा-पाठ, मंत्र जप, ध्यान, भजन-कीर्तन, दान-पुण्य आदि शुभ काम करना चाहिए। ये व्रत करने वाली महिलाओं को शिव-पार्वती की कथाएं पढ़नी-सुननी चाहिए।

हरतालिका तीज से संबंधित पौराणिक कथाएँ

  • तीज तृतीया तिथि की स्वामी देवी पार्वती हैं। हरतालिका तीज व्रत के संबंध में पौराणिक कथा है कि सबसे पहले देवी पार्वती ने ही यह व्रत किया था। शिव पार्वती जी को पति के रूप में पाना चाहा था और जैसी मनोकामना पूरी करने के लिए देवी ने हरतालिका तीज से कठोर तप शुरू किया। देवी के तप से शिव जी प्रसन्न हुए और उनसे देवी का आगमन हुआ। इसके बाद पार्वती और शिव जी का विवाह हुआ।
  • हरतालिका तीज पर पांच पहर यानि की पांच बार पूजा-अर्चना की जाती है।
  • तीज के बाद चतुर्थी की सुबह रेतरेत से बने शिव जी, पार्वती जी और गणेश जी की पूजा होती है। पूजा के बाद नदी-तालाब या किसी अन्य जलस्रोत में इन अवशेषों का विसर्जन किया जाता है। इस पूजा के बाद दान-पुण्य किया जाता है और फिर महिलाओं को अन्न-जल ग्रहण कराया जाता है।
  • तीज पर शिव-पार्वती के दर्शन-पूजन करें। शिवलिंग का जलाभिषेक करें। बिल्व पत्र चढ़ाएँ। चंदन का लेप लगाएं। हार-फूल से दिखाओ। धूप-दीप आरती करें। मिठाई का शोरूम।

 

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