‘कॉर्पोरेट माफिया ने सिनेमा को खरीदा’: कृष में दिखे एक्टर हेमंत पांडे बोले- इंडस्ट्री तभी जिंदा रहेगी, जब इंडिपेंडेंट प्रोड्यूसर फिल्में बनाएंगे


23 घंटे पहलेलेखक: मिश्रीश्री

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सिद्धांत से लेकर छोटे स्टूडियो के स्टूडियोऑफ़िस में पैंडेज़ जी की भूमिका में कैथेड्रल स्टूडियो ने खूब रंग जमाया। कृष और रेडी ने कई फिल्मों में अभिनय किया, जैसे कि कई फिल्मों में अभिनेता-अभिनेताओं की भूमिका निभाई, माइकल एंजेलो का दावा है कि कंपनी माफिया ने सिनेमा को खरीद लिया है।

वकील पैजेंड का कहना है कि कम्यूनिटी माफिया को सिनेमा की अच्छी समझ नहीं है। संस्थान को स्वतंत्र रूप से बनाए रखने के लिए सक्रिय रहना बहुत जरूरी है। पिछले दिनों अभिनेताओं ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। इस बातचीत के दौरान एक्टर्स ने क्या कहा, आओ जानते हैं ज़ीनी की जंज़ी…

शेखर कपूर की पहली फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ मिली

शेखर कपूर की फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ में दशमलव का रोल था। सिर्फ मैं ही पहचान रहा हूं कि फिल्म कहां है। उस फिल्म में रोज 5000 रुपये का अनुपात था। इससे यह हुआ कि मंडी हाउस में काम करने का लाभ थोड़ा बढ़ गया। उस फिल्म में काम करने के बाद मेरे सभी सीनियर एक्टर्स मनोज बाजपेयी, निर्मल पैंडे और सौरभ शुक्ला दिल्ली से मुंबई चले गए।

मुंबई में 500 रुपये प्रतिदिन का काम मिला

‘बैंडिट क्वीन’ में काम करने के बाद मंडी हाउस में मेरा सम्मान बढ़ गया। उस सम्मान को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और मैं भी मुंबई आ गया। यहां आने के बाद शेखर कपूर के ही प्रोडक्शन के सीरियल ‘हम बंबई नहीं जाएंगे’ में काम मिला। इस सीरियल को तिग्मांशु डस्टिया ने निर्देशित किया था। इस सीरियल की शुरुआत अच्छी हुई थी, लेकिन इसमें काम करने के एक दिन के 500 रुपये लगे थे।

ऑफिसऑफ़िस ने सबसे सस्ता विकल्प दिया

इसी दौरान सोनी टीवी के शो ‘ताक हुं’ में भी अच्छा मौका मिला। उनके बाद ‘तो क्या बात है’, ‘हेरा फेरी’ जैसे कई सीरियल और फिल्में आईं। ऑफिस से अच्छा समय शुरू हो गया। इसमें पेंज जी की भूमिका से जबरदस्त लोकप्रियता मिली। यह सीरियल 8-9 साल तक चला। मैंने 50-60 विज्ञापन फिल्में भी ली थीं। मेरे ही शो में जब मेरी विज्ञापन फिल्में चलती थीं, तो बहुत खुशियाँ थीं।

मुंबई आये तो चॉल में रहना पड़ा

मुंबई में जब आया तो शुरुआत में चेंबूर चॉल में रहा। लेकिन वह बहुत दूर था. लोगों से अंधेरी मुलाकात में एक समस्या सामने आई थी। एनएसडी के मेरे बैचमेट मुंबई आ गए थे। मैं उनके साथ अँधेरी पूर्व के जेपी काली में शिफ्ट हो गया था। 8-10 लड़के एक छोटे से कमरे में रहते थे। आने पैसे लागे तो दो लोगों के साथ रूम शेयर करके रहने लगे।

आज 4 करोड़ के फ्लैट में रहते हैं

मैंने 25 साल पुराने मकान को आठ लाख में खरीदा था। आज वह बड़ा सा टावर का पुनर्विकास बन गया है। उसकी कीमत आज 4 करोड़ हो गई है। लोगों को लगता है कि 4 करोड़ का फ्लैट रह रहा है, लेकिन मेरा इतना पैसा कहां था। पुनर्विकास में नहीं हुआ तो फ्लैट की इतनी कीमत। मेरा मानना ​​है कि जो प्राप्त हुआ है वो वोसामी है।

काबिलियत है तो मौका मिलेगा

मैं इस बात को प्रमाणित नहीं करता कि औद्योगिक क्षेत्र में बाहरी लोगों के साथ भेदभाव होता है। आपके परिवार को आगे की स्वाभाविक प्रकृति प्रक्रिया है। किसी भी क्षेत्र में देख लें। अगर कोई अपने भाई-बहन को लेकर फिल्म बना रहा है, तो यह उसकी हिम्मत और जज़्बा है। मैं कभी किसी ग्रुप का हिस्सा नहीं रहा। मेरा मानना ​​है कि अगर आप में काबिलियत है तो जरूर मिलेंगे।

के पैसेज इंटरवॅजेंट ने अपनी मारुति वैन दी

यह सही है कि इंडस्ट्री में एक्टर्स का पैसा फंस जाता है। कुछ प्रोजेक्ट प्रोजेक्ट बनने के बाद भी गायब हो गए हैं। मुझे एक निवेश से 35 हजार रुपये लेने थे। उसने पैसे के बदले अपनी मारुति वैन दे दी। मुंबई में शुरुआती दिनों में बस में भी यात्रा की जाती है। उनका अपना एक अलग ही आनंद था। सबसे पहले मैंने 5 हजार में तानाशाही लिखी थी। अभी तक 11 स्क्रैप बदले गए हैं। अभी मेरे पास XL 6 कार है। मुझे यह नहीं बताया गया कि मुझे फिल्मों का शौक है, बल्कि इसकी जरूरत है।

बिस्किट खोज भी गुजराता करना पेज

जीवन में सुख दुःख तो आते रहते हैं। यही तो जीवन है। मैंने दुख के समय भी जिंदगी का भरपूर आनंद उठाया। बिस्किट इज़्ज़त गुज़ारी है। पैसे नहीं थे तो दिन भर अलग-अलग भी रह रहे थे, लेकिन शाम तक कोई ना कोई यार दोस्त मिल गया था और खाना पसंद हो गया था। अभिनेताओं के लिए बहुत ही त्याग और तपस्या की आवश्यकता होती है। सीखने की ललक अगर कायम रहे तो एक्टर्स हमेशा तारो ताज़ा महसूस करते हैं।

घर से आर्थिक रूप से समर्थन नहीं मिल रहा

मेरे प्रिय पोस्टमैन थे। उस समय वेतन बहुत कम था। रिश्वत के नाम पर सिर्फ चाय पानी ही हुआ था। पिता जी ने रिश्वत के नाम पर कभी चाय तक नहीं पी। आर्थिक रूप से ठीक वही सहायक नहीं है, लेकिन हमें जो संस्कार मिले हैं, संस्कार के कारण यहां तक ​​हैं। आज 90 साल पुराने हो गए हैं। शारीरिक रूप से ठीक ही सामान्य रूप से स्वस्थ हैं, लेकिन मानसिक रूप से पूरी तरह से स्वस्थ हैं। उन्हें देखकर बहुत प्रेरणा मिलती है।

माँ ने पड़ोसी से 100 रु. के रिकार्ड बताए थे

बचपन की बात है, मैं एनसीसी कैंप में जा रहा था। मां ने 100 रु. आज भी बचपन वाली बात मेरे दिल पर मेहनत करती है। मैं कहीं भी होटल में टिप नहीं देता हूं। मेरे लिए 100 रुपये की बहुत ही पहचान है। मैं पैसे ऐसे खर्च नहीं कर सकता।

आदर्श की तरफ से रेस्तरां है

अक्सर सुनने में आता है कि फलां के साथ गलत हो गया। इंडस्ट्री में ऐसा नहीं है। लड़का हो या लड़की, फिल्म इंडस्ट्री में किसी के साथ जबरदस्ती नहीं की जा सकती। यहां जब तक सामने वाला ना दिखे, कोई गलत नजरिया भी नहीं देख सकता। मैं नाटकों के समय से ही लड़कियों के साथ रह रहा हूं। थॉय बॉय और गर्ल के बीच का आकर्षण खत्म कर देता है। फिल्मी लड़कों के अफेयर होते हैं, लेकिन जो थिएटर से टैप कर आते हैं। उनका बीच का आकर्षण खत्म हो गया, क्योंकि थिएटर का प्रदर्शन एक तरफ है।

माइक्रोसॉफ्ट माफिया ने सिनेमा को खरीदा

अक्षय कुमार के साथ ‘वेलकम टू द जंगल’ और विक्रम भट्ट की ‘हॉन्टेड 2’ कर रहे हैं। कुछ फिल्मों की शूटिंग उत्तराखंड में शुरू हो रही हैं, जिनमें मेरी मुख्य भूमिका है। इससे पहले भी ‘प्रकाश इलेक्ट्रॉनिक’ जैसी कई फिल्मों में लीड रोल कर चुके हैं। वो फिल्में ठीक से नहीं चलीं, क्योंकि सत्यम थिएटर नहीं मिला। आज कंपनी माफिया ने सिनेमा को खरीद लिया है। इने सिनेमा के बारे में कुछ पता नहीं है।

संस्थान के लिए स्वतंत्र आवश्यकताएँ आवश्यक हैं

बहुत ही कमडिपेंडेंट फिल्में हैं, जो फिल्में बन रही हैं। स्वतंत्र इंस्टीट्यूट के लिए संस्थान को कायम रखना बहुत जरूरी है। कुछ लोग स्टॉक करके फिल्में बना रहे हैं। हमारी कोशिश यही रहती है कि ऐसे पर्यटकों की मदद की जाए।

कृष्ण के लिए राकेश रोशन जी ने खुद को सामने से कॉल किया था। उन्होंने खुद स्टोरी नरेट की थी। रेडी में सलमान खान के साथ काम करना अच्छा अनुभव हो रहा है। उस फिल्म में ठीक ही पंडित जी का छोटा सा किरदार था, लेकिन वह किरदार दर्शकों को काफी पसंद आया था। अब इंडस्ट्री में ऐसा मोमेंट नहीं है।



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