हरिद्वार2 दिन पहले
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प्रकृति में एक चीज़ वैसी भी नहीं है। यहां हर पल बदलाव होते रहते हैं। पृथ्वी, जलवायु, आकाश, अग्नि के प्रभाव से प्रकृति के अनेक रूप विद्यमान हैं। हम जिस जगत में रहते हैं, वह बदलता हुआ जगत है। संसार परिवर्तनशील है, लेकिन जो वस्तुएँ कमजोर नहीं हैं, वे हमारी आत्मा, प्रकृति और वास्तविक स्वरूप हैं। हमारे लिए सबसे बड़ी प्रतीकात्मक भय और ब्रह्माण्ड हैं। भय-भ्रम की वजह से हम दुखी रहते हैं। हम दुखों से तभी मुक्त हो सकते हैं, जब हम अपना वास्तविक स्वरूप पहचान सकें।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अविनाशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए जीवन में आनंद कैसे मिल सकता है?
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